अब ना ये रुकने पाएगा – सुदर्शन पुनिआ जी की कलम से

sudarshan punia

चल पड़ा है मिशन ग्रीन दिल्ली अब ना ये रुकने पाएगा
पुनीत भूपेश जैसे योधाओं से ये मंज़िल अपनी पाएगा
हवा मिलेगी ताज़ी सबको प्रदूषण का नामोंनिशाँ होगा
हरे भरे पेड़ों से सज़ा हम सबका भी दिल्ली मे एक आशियाँ होगा

Loading

मिशन ग्रीन दिल्ली , मेरा छोटा सा विश

chota sa wish

जिन पंच तत्वों में पला, उनके लिए छोटी सी कोशिश । मिशन ग्रीन दिल्ली, मेरा छोटा सा विश । अगर स्वप्न आपका भी है यही, तो और कोई ख्वाइश नही । चलो साथ साथ चलें, रह ना जाए कोई रंजिश । मिशन ग्रीन दिल्ली , मेरा छोटा सा विश ।

सुंदर जीवन का सपना, और सुंदर शहर का । ची ची करती चिड़िया का, और बहती नहर का । शुद्ध बहती यमुना, और यमुना में बहती फिश । मिशन ग्रीन दिल्ली, मेरा छोटा सा विश ।

साईकल की सवारी करते जन, महरौली से बढ़ते वन । हर गृह होगा वृक्ष की ओट में, खुशियां लाएंगे जब उपवन । कर लें आओ हम सब कोशिश, नही पियेंगे पॉल्युशन का विष । मिशन ग्रीन दिल्ली, मेरा छोटा सा विश

Loading

हरी अंजुरी

hari anjuri

पंख बो गया जाते जाते
पतवारों सँग बहते बहते
पवन लहर संग खेल रहा मैं
हरियाली कुछ गुदगुदा गई
रिमझिम बूंदें कुछ सुना गईं
हृदय राग उत्सव खिला गई
दादा के संग खेल खेल में
जो बीज बोए थे बचपन में
वट-वृक्ष बने बाहें झुला रहे
उन्नत उद्दात खिलखिला रहे
रह रह स्मृति में कम्प मचा रहे
दूर्वा-दल भी हंसती थी यूं
कुछ कम नहीं समझती थी वो
गिलहरी ने भी योग दिया
बालुका कणों से सेतु चिना
पुरुषार्थ करो रंच मात्र भी
उत्तराधिकारी करें याद भी
अंजुरी भर भर बीज चुनें हम
हरियाली की राह चुनें हम
हो भावी पीढ़ी का पथ प्रशस्त
वन-उपवन की बाढ़ लगाओ
मधुरस सुरभित पवन तुम पाओ

Loading

What are you looking for ?

    ×
    Connect with Us

      ×
      Subscribe

        ×