खुद से मुलाकात

किसी भी व्यक्ति से जुड़ने से पहले खुद से जुड़ना आवश्यक है.  चुम्बक की ताकत तभी समझ में आती है जब सभी एक दिशा में चल रहे हों. नकारात्मक सोच हमसे हमारी चुबकिय शक्ति छीन लेती है. इसलिए उससे दूर रहने में ही समझदारी है.  और जिस प्रकार नकारात्मक व्यक्ति हमे दिशाहीन कर देता है,  उसी प्रकार से नकारात्मक सोच और अभीमान हमे रास्ते से भटका देते है. एक व्यक्ति टी पॉइंट पे आकर रुक जाता है और उसको समझ नहीं आता की कहाँ जाना है. इस प्रकार भ्रम के कारण वो दिशाहीन हो जाता है.  यहाँ हमे समझना होगा की एक समय पे एक ही रास्ते पे चला जा सकता है. इसलिए हमे अपनी मस्तिस्क में से वो टी पॉइंट साफ़ करना होगा. सामने खडा हर व्यक्ति एक चश्मा पहन कर निकलता है जिसको हम नजरिया कहते है. तो अगर हम उसके द्वारा दिखाई जा रही हरियाली को नहीं देख पा रहे हैं तो इसमें हमारा दोष है. और ऐसा करके हम अपना और दूसरों का बहुत सारा वक़्त बर्बाद कर देते हैं और सही दिशा में आगे नहीं बढ पाते हैं. हमारा फ़र्ज़ है की हम वो चस्मा पहने और उसके बाद ही  कोई निर्णय लें. जीवन बहुत आसान हो जाएगा.

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