दिल्ली को तुम ग्रीन बनाओ, पेड़ लगाओ पेड़ लगाओ

उड़ता पंछी मुघे बुलाए, जाने क्यों वो अश्क बहाए
जब भी बैठे वो ट्विटर पर, शहर का अपने हाल सुनाए
मिशन ग्रीन की कविता सुनकर, ग्रीनटेक की बीन बजाओ
दिल्ली को तुम ग्रीन बनाओ, पेड़ लगाओ पेड़ लगाओ

जीवन मिलता शहर को अपने, फूलों की इन कलियों में
व्याधि को अब रुक्सत कर दो, वृक्ष उगाओ गलियों में
सुबह सुबह तुम कविता गाओ, चलो उठो अब दौड़ लगाओ
दिल्ली को तुम ग्रीन बनाओ, पेड़ लगाओ पेड़ लगाओ

चलता हूँ मैं बंधू अब तो, काम बहुत सा बाकी है
ग्रीनटेक के प्याले में, जाम बहुत सा बाकी है
शहर को अपने स्वछ बनाओ, देश बचाओ देश बचाओ
दिल्ली को तुम ग्रीन बनाओ, पेड़ लगाओ पेड़ लगाओ

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