What is Right & What is Wrong ?

आज मस्तिस्क में एक सवाल उठा है. हम अपनी डेली लाइफ में कैसे पता लगाएं की क्या सही है और क्या गलत.तो मुघे जवाब मिलता है की दुनिया में कोई भी चीज़ सही या गलत नहीं है. बल्कि मैं उसे कैसे स्वीकार करता हूँ वो भाव सही और गलत होता है.यानि अगर मैं किसी गलत चीज़ को सही भाव से स्वीकार करता हूँ वो तो सही है. और अगर किसी सही व्यक्ति को गलत भाव से स्वीकार करता हूँ वो गलत है. मेरा संचालन सही या गलत होता है. जैसे की अगर मैं किसी ग्रन्थ को पढ़ना चाहता हूँ और इस कारण उसको खोलता हूँ. फिर उसमे लिखे शब्दों को पड़ता हूँ . और फिर शब्दों के पीछे के भावों को गलत तरीके से ग्रहण करता हूँ और समझता हूँ और बांटता हूँ. तो यहाँ मैं गलत हो जाता हूँ.  सामने खड़ा व्यक्ति किसी कमजोर को नुक्सान पहुंचा रहा है और मैं राम की तरह सुग्रीव की मदद करता हूँ, तो मेरा सञ्चालन सही हो जाता है. अगर मैं इसे अनदेखा कर देता हूँ तो ये गलत हो जाता है. दो तरह के लोग है: जो सोये हुए हैं और वो जो जागे हुए हैं.पराशूट और दिमाग जब तक खुले हैं तब तक काम करते हैं. हमारा हर वो कार्य जो हमारी बंद आँखें खोल देता है वो सही है. और हमारा हर वो कार्य जो हमारे मन और बुद्धि रुपी चक्षुओं को बंद कर देता है, वो गलत है. अगर मेरा वर्तमान कार्य मेरे ज्ञान चक्षुओं को खोल रहा है, तो मेरा आज सही होगा.  अगर मेरा आज या वर्तमान सही है तो वो सही भूतकाल में बदल जाएगा. और अगर भूतकाल और वर्तमान सही हैं तो भविष्य का निर्माण सही होगा.

 

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Lekar Tonic Khushion Kaa, Green Tech Kaa Spoon Aaya

पांच महीने बीते झट से, लेकर गर्मी जून आया – दिन भर तपती धरती पर, ठंडक लेकर मून आया
देखो टीना थक कर बैठी, देखो राहुल थक कर बैठा  – लेकर टोनिक खुशिओं का, ग्रीन टेक का स्पून आया
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मानव के कर्मो से कब तक, धरती जलती जाएगी  – हफ्ता हफ्ता वेट करा कर, बरखा कब तू आएगी
गर्म गर्म ये रूरकी बीता, आखिर देहरादून आया  – देखो टीना थक कर बैठी, देखो राहुल थक कर बैठा
लेकर टोनिक खुशिओं का, ग्रीन टेक का स्पून आया
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काट काट कर पेड़ों को, इतना कागज़ क्यों तू खाए – देकर धोखा दुनिया को, दिल को अपने क्यों जलाए
रक्त दान के सेण्टर पर , देकर अपना खून आया – देखो टीना थक कर बैठी, देखो राहुल थक कर बैठा
लेकर टोनिक खुशिओं का, ग्रीन टेक का स्पून आया
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शीतल शीतल प्याऊ का, शीतल शीतल पानी पी ले – सचे गुरु के मुख से निकली, मीठी मीठी वाणी पी ले
मिशन ग्रीन का सुन्दर सपना, लेकर ये जूनून आया – देखो टीना थक कर बैठी, देखो राहुल  थक कर बैठा
लेकर टोनिक खुशिओं का, ग्रीन टेक का स्पून आया

Mail us at missiongreendelhi@gmail.com

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Transformational human inside me

ऐसा लगता है की मैं एक व्यक्ति नहीं हूँ बल्कि छे तरह के मानवों का एक समूह हूँ.  और कुछ ही पल में इस समूह में से एक मानव खड़ा हो जाता है और बाकी सब बैठ कर उसकी बातें सुनते हैं. आज मैं ग्रीन स्क्रीन पर इन् पांच मानवों का एक एक कर के अपने आप से परिचय करवाऊंगा.  पहला मानव बहुत ही भावनात्मक और गुस्से वाला है.  ये मानव दिल का साफ़ है और आसानी से प्यार और  ममता जैसे गुणों में बंध जाता है. फिर इसके लिए इस बंधन से बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है. ये दूसरों का दुःख नहीं देख सकता है और अपनों को नुक्सान पहुंचाने से डरता है. दूसरा मानव हमेशा दुनिया से कटा हुआ रहता है और केवल अपने उद्देश्य को पूरा करने के लिए ही हर कार्य करता है. इसको दुनिया में किसी की परवाह नहीं है. जब भी आप इससे बात करेंगे तो ये केवल अपने लक्ष्य की बातें करेगा और बाकी हर चीज़ को नकार देगा. तीसरा मानव वो है जिससे हम हमेशा दूर रहना चाहते हैं. क्योंकि ये हमेशा हर चीज़ में कमी निकालता है. आप अगर इससे थोड़ी दूर भी बैठे हैं तो ये आपको एहसास करवाएगा की आप परनोइड हैं. कृपया इस मानव को ज्ञान ना बांटें. चौथा मानव वो है जो हमेशा हरियाली और समृधि की बातें सोचता है और करता है. ये बहुत ही रचनात्मक है और कल्पनाओं और योजनाओं का भण्डार है.ये हर चीज़ में कुछ नया और अलग ढूँढता है. पांचवा मानव वो है जो सबको आगे बदने की प्रेरणा देता है और हमेशा सकारात्मक और जिंदगी में आगे बदने की बातें करता है. और छठा मानव मैं हूँ जो आकाश की तरह खड़ा होकर इन सभी मानवों का ध्यान रखता है और इनको सही समय पर बिठाता और उठाता रहता है.

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