अब तक का सफ़र

एन आई आई टेक्नोलॉजीज के साथ काम करते करते दो वर्ष होने वाले हैं और हर पल यहाँ कुछ नया सीख रहा हूँ। इससे पहले का लंबा सफ़र ज़यक्सेल कम्युनिकेशन्स के साथ रहा है जहां पर तीन वर्षों तक लगातार भयंकर टेक्नोलॉजीज पे काम किया। वाई फाई गेटवे , राऊटर , मॉडेम, फ़ायरवॉल, मैनेज्ड और अनमैनेज्ड स्विच, नास और इस तरह कि सोलह ब्रॉडबैंड यंत्रों पे प्रोफेशनल लेवल के सर्टिफिकेशन हासिल किये। इसके साथ साथ सिक्यूरिटी गेटवे पर ट्रेनर लेवल का सर्टिफिकेशन भी हासिल किया। वेब पर मास्टरी करने का ये सफ़र इतना आसान नहीं रहा है। सिक्यूरिटी गेटवे का मेरा पूरा सेशन आपको यहाँ मिल जाएगा।

ज़यक्सेल ज्वाइन करने से पहले लाइव सेल्स मैंन में काम किया जहां पर अलग अलग तरह के सर्वर्स का कॉन्फिग्रेशन किया। उनमे से लिनक्स पर डी एन एस कॉन्फ़िगर करने का विडियो टुटोरिअल यूटुब पे भी डाला। ये विडियो आप यहाँ पर देख सकते हैं।

ज़यक्सेल के बाद पॉवर जगत में आया और यहाँ आईसीआईसीआई बैंक का पेमेंट गेटवे लगाना सीखा। वेबसाइट और सर्वर की थ्री फेज सिक्यूरिटी टेस्टिंग करवाई। और कई तरह के कार्यों को ऑटोमेट किया। यहीं पर अपनी टीम के साथ मिलकर एथिकल मास मेलिंग टूल बनाया। और सीखा कि कैसे राव डाटा को मीनिंगफूल ग्राफ्स में बदलना है।

सफ़र लंबा था लेकिन अभी इतना ही लिखकर ख़तम करता हूँ। धन्यवाद।

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हेरिटेज विलेज देखा तो लगा

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गुडगाँव में हेरिटेज विलेज देखा तो लगा कि इतिहास में हमारा दिल्ली शहर भी कभी ऐसा ही होगा।  हर तरफ बने हुए कृष्ण कुञ्ज और बीच बीच में पीपल के पवित्र वृक्ष। अद्भुत गाँव के बाहर बने हुए और सब्जिओं से लदे हुए खेत। भला ऐसे दिव्य और सुन्दर गाँव को छोड़कर वाहनों से भरे हुए शहर में कौन जाना चाहेगा। ऐसे अद्भुत गाँव के निर्माताओं को दिल्ली शहर बुला रहा है। कृपया आएं और दिल्ली शहर कि काया को बदल दें।
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विमान के प्रथम अविष्कारक :शिवकर बापू तलपड़े

आखिर कौन हैं शिवकर बापूजी तलपड़े ? कहा जाता है मुम्बई कि चौपाटी पर , चीरबाज़ार में जन्मे इस विज्ञानिक ने 1895 में पंद्रह सौ फीट ऊपर तक विमान उड़ाया जिसका नाम था मरुतसखा। ये महाराष्ट्र की पथरे प्रभु कम्युनिटी के मेंबर्स थे। पंडित सुभराय शास्त्री जी ने तलपड़े जी को विमान शास्त्र में गाइड किया। ये ऐसा विमान था जिसमे किसी भी पायलट कि आवशयकता नहीं थी। महादेव गोविन्द रानाडे , जो कि भारतीय स्कॉलर , सोशल रिफॉर्मर और ऑथर होने के साथ साथ इंडियन नेशनल कांग्रेस के फाउंडिंग मेंबर भी थे , और मुम्बई के हाई कोर्ट में जज कि हैसियत से काम करते थे , तलपड़े जी के मरुतसखा विमान प्रोजेक्ट देखने गए थे। किंग ऑफ़ बड़ोदरा भी इस प्रोजेक्ट को देखने गए थे। इसका मतलब ये था कि विमान का कण्ट्रोल तलपड़े जी के पास था और विमान हवा में। महाराजा गएक्वाद ने तलपड़े जी के लिए इनाम कि धोषणा कि।

पुणे के केसरी नाम के अखबार में इस इवेंट के बारे में बाल गंगाधर तिलक ने लिखा था।

महर्षि भारद्वाज जिनका जिक्र रामायण में भी है , उनके द्वारा लिखे गए 8 चैप्टर्स , सौ खंडो , और तीन हज़ार श्लोकों वाले ग्रन्थ का अध्यन्न तलपड़े जी ने किया जिसको वैमानिक शाश्त्र भी कहा जाता है। वैमानिक शास्त्र में महर्षि भारद्वाज ने विमान बनाने के पांच सौ सिद्धांत लिक्खे हैं।

1917 में तलपड़े कि मृतुयु के बाद उनके रिश्तेदारों नें मरुत्सखा और इसका डिज़ाइन एक ब्रिटिश एक्सपोर्टिंग कंपनी को बेच दिया। नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ साइंस बंग्लोर इस विषय पे काम कर रहा था।

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