इंसान आज प्रकर्ति के तीन गुणों से बनी रसिओं से इतना कस कर बंधा हुआ है की वो चाह कर भी उनको तोड़ नहीं पा रहा है. वो तड़प रहा है, विलाप कर रहा है और मार काट मचा रहा है क्योंकि वो इस बंधन से तंग आ चूका है. और वो बसब्री से उस महापुरुष का इंतज़ार कर रहा है जो कई वर्ष पहले अपने आप को इन् रसिओं के बंधन से मुक्त करा चुके हैं. आप सोच रहे होंगे की ये कौन सी तीन रसिआं हैं जो हमे परेशान कर रही हैं और जिनके बारे में हम समझ नहीं पा रहे हैं. ये रसिआं हैं तमस, रजस और सत्व गुण. और जीवन जीने के लिए ये तीनो गुण आवश्यक हैं. सोने के लिए तमस जरूरी है तो युद्ध करने के लिए रजस. कार्य करने के लिए रजस जरूरी है तो रजस को काबू में रखने के लिए सत्व. आज हर तामसिक मानव को रजस नियंत्रित करने का प्रयास कर रहा है तो हर रजस सात्विक के चरणों में सर झुका रहा है. और सात्विक मुक्ति की इच्छा ले कर जी रहा है. एक माया जाल सा प्रतीत हो रहा है जिसमे मनुष्य बुरी तरह से फंसा हुआ है और चाह कर भी निकल नहीं पा रहा है. और वो तब तक इस माया जाल में फंसा रहेगा जब तक कोई बंधन मुक्त दिव्य आत्मा आकर उसके बंधन नहीं खोलती. पिंजरे में फंसे हुआ पंछी अपनी शक्ति से कभी आज़ाद नहीं हो सकता जब तक वो किसी ऐसे व्यक्ति को ना पुकारे जो पिंजरे से बाहर हो और पिंजरा खोलना जानता हो. लेकिन अगर पिंजरे का पंछी सच्चे दिल से उस परम शक्ति को पुकारता है और अपना जीवन उसको समर्पित करता है तो एक दिन ऐसा भी आ जाता है जब उसकी दया, प्यार और भक्ति से प्रभावित हो कर परम शक्ति उसको पिंजरे के बंधन से मुक्त कर अपने सीने से लगा लेती है. ये दृश्य उसी प्रकार का हो सकता है जिस प्रकार राम और भरत का मिलाप, या भगवान् कृष्ण और सुदामा का मिलाप.
Birds in cage of world
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