दीप उगाएं आंखों में

bhupesh ji

मलिन कलुष अंतस अंधियारा
देहरी पर था दीप उजारा

हृदय वेदन मर्म चीत्कार
क्रन्दन करती किसे पुकार

मल का विचलित क्षुद्र विकार
तेजोमय द्वि-दीप संहार

नेत्रों से बह निकली धार
वीणा वन्दन झंकृत सितार

अंगुरि पोर देह बंसी बरसे अमृत
बजती लय सुध बुध थी विस्मृत

चौक पुराओ द्वार लिपाओ
घूरे के भी दिन फिर जाओ

जलते जाओ नयन भर आस
उषा आगमन प्रतीक्षा श्वास

सौंप लपट तुम देना रवि को
अंजुरी भर परंपरा की धरोहर

बुझते बुझते दे गया संदेश
भभका निर्वाण पूर्व प्रवेश

जितनी ज्वाला बच रहती थी
सब सँग समेट तुम्हें है सौंपी

जग भर उजियारा फैलाना
कोई दीप पुनः उगाना

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on this Diwali, only that’s the solution

Diwali Girl x

Delhi is waiting for, those moments of light
shimmering with ghee lamps, beautiful that night
clean air without smog, roads those without clog
blessing of laxmi arrives, with sweets and bhog

the day of love, will arive in Delhi
incense of devotion, will dive in Delhi
smiles of elderly, will make us happy
with breath of purity, Diwali would be zappy

mission green delhi, wishes you happiness
with peace and devotion, spread the cleaniness
take the pledge, to stop the pollution
on this Diwali, only thats the solution

 

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हम समझेंगे कभी तो, सब्ज़ इ मुहीम का खवाब है

sweet little girl in garden other

अगर आज धुंआ ना होता, तो ये स्वप्न ना होता
हरियाली की उम्मीद ना होती, ग्रीन दिल्ली का यत्न्न ना होता
हर तरफ शज़र होंगे, सोच यही नायाब है
हम समझेंगे कभी तो, सब्ज़ इ मुहीम का खवाब है

एक ऐसा शहर होगा, जहां सिर्फ तालाब होंगे
शुद्ध जल का मूल्य ना होगा, फूलों के ही बाग़ होंगे
धुल जाएंगे एक दिन, शहर में जो दाग हैं
हर तरफ शज़र होंगे, सोच यही नायाब है
हम समझेंगे कभी तो, सब्ज़ इ मुहीम का खवाब है

ट्रैफिक का चक्रव्यूह ना होगा, शहर की इन सड़कों पर
शालीनता की बरसात होगी, दिल्ली के हम लड़कों पर
तर्क भरे सवालों का, ना कोई जवाब है
हर तरफ शज़र होंगे, सोच यही नायाब है
हम समझेंगे कभी तो, सब्ज़ इ मुहीम का खवाब है

– मिशन ग्रीन दिल्ली ब्लॉग

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