हृदय कम्पन क्यों करे, जब भी देखे अश्रु उनके
छूट गए हैं अपने जिनके, छूट गए घरबार भी जिनके
प्रकर्ति का प्रकोप है क्या, कांप रहा क्यों अब ये समतल
जल में सब कुछ बह रहा, मानव अहम टूटा है पल पल
वृक्ष ये देखो भस्म हो रहे, जीवन स्त्रोत खत्म हो रहे
आसमान ये क्यों रो रहा, जीव अचानक क्यों रो रहे
भाग रहा क्यों वृक्ष लगाने, मिशन ग्रीन का अब ये दल बल
जल में सब कुछ बह रहा, मानव अहम टूटा है पल पल
वैश्विक उष्मा आज बताए, कितने जीवन आज गवाए
चले गए जो हमे छोड़कर, कैसे उनको आज बुलाएं
अपने काले कर्मों का, प्राप्त हुआ है हमको ये फल
जल में सब कुछ बह रहा, मानव अहम टूटा है पल पल
– पुनीत वर्मा, मिशन ग्रीन दिल्ली