सपेरा हूँ मैं और तुम सब नाग हो – जुबान हूँ मैं और तुम सब राग हो
तुमको अपने बस में करके , देखो देश आबाद हुआ – तोड़ के physical बंधन सारे, देखो मैं आजाद हुआ
एक नाग भी पकड़ से छूटा, तब तब देश को तुमने लूटा – रागों की इस शोर में , सुर भी हर पल हमसे रूठा
सत्ता का ये कैसा virus , यूँ ही तू बर्बाद हुआ
तुमको अपने बस में करके , देखो देश आबाद हुआ – तोड़ के physical बंधन सारे, देखो मैं आजाद हुआ
उसको नाचते तुमने देखा, खा गए हो तुम भी धोखा – सता के इस जाल से, जीवन तेरा हो गया रूखा
खो के माया जाल में, देखो ये नाबाद हुआ
तुमको अपने बस में करके , देखो देश आबाद हुआ – तोड़ के physical बंधन सारे, देखो मैं आजाद हुआ